मोहब्बत की नहीं जाती , मोहब्बत हो जाती हैं
जुबां से इकरार किया नहीं जाता, बात ये खुद बयाँ हो जाती हैं
हर लम्हा सोचते हैं उसे और ढूँढ़ते हैं हर जगह
दीवाना बना नहीं जाता ,इश्क में दीवानगी हो जाती हैं
हाय !! आ जाये गर वो भूले से कभी मेरे दर
फिर इसमें उसकी क्या खता, क़यामत तो हो ही जाती हैं
न उनको हमसे मोहब्बत हैं, न ही पता हैं इस हाल का
फिर न मिले बहुत दिनों तक वो, तो बेफ़ाई की शिकायत हो जाती हैं
जुबां से इकरार किया नहीं जाता, बात ये खुद बयाँ हो जाती हैं
हर लम्हा सोचते हैं उसे और ढूँढ़ते हैं हर जगह
दीवाना बना नहीं जाता ,इश्क में दीवानगी हो जाती हैं
हाय !! आ जाये गर वो भूले से कभी मेरे दर
फिर इसमें उसकी क्या खता, क़यामत तो हो ही जाती हैं
न उनको हमसे मोहब्बत हैं, न ही पता हैं इस हाल का
फिर न मिले बहुत दिनों तक वो, तो बेफ़ाई की शिकायत हो जाती हैं
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