Friday, July 20, 2012

सोचता हैं तू ये क्या हुआ

तू तू ही रहा मैं न हुआ
मैं मैं ही रहा तू न हुआ
सोचता हैं तू ये क्या हुआ
और मैं कहता हूँ हुआ क्या 

चलता रहा बस चलता रहा
रास्तों को ही तय बस करता रहा
मंजिलों से बच के निकलता रहा
सफर की चाहत थी वो करता रहा

सोचता हैं तू ये क्या हुआ
और मैं कहता हूँ हुआ क्या


दुनिया में खुशियों की कमी न थी
तू गम को उसके ले साथ जीता रहा
प्यारा था वो तुझे जिंदगी से ज्यादा
शायद  इस लिए तू खुद से भी बचाता रहा

सोचता हैं तू ये क्या हुआ
और मैं कहता हूँ हुआ क्या

सही गलत के तराजू में तौलता रहा खुद को
सही भी जो   तुने सोचा था
गलत भी जो तुने सोचा था
बस यूँ ही फैसले करता रहा

सोचता हैं तू ये क्या हुआ
और मैं कहता हूँ हुआ क्या


जिंदगी भर यूँ जिंदगी के इंतज़ार में
जिंदगी से दूर हो के बस चलता रहा
खीचता था जब भी कोई तुझे तेरी और
तू उस से  ही न जाने क्यों  दूर होता रहा


सोचता हैं तू ये क्या हुआ
और मैं कहता हूँ हुआ क्या

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