ये तख्तों ताज तू ही रख,
ये सोने का शहर तू ही रख|
दे दे मुझे बस वो बंजर जमीं,
के शहर नया बसाना हैं मुझे||
ये ऐशों आराम दिल का चैन,
ये सारी रोशनियाँ तू ही रख|
दे दे मुझे बस बेचैनियाँ,
के अब कुछ कर दिखाना हैं मुझे||
ये लबों पे खुशियाँ तू ही रख,
ये खुशियों से भरे बाज़ार तू ही रख|
दे दे मुझे सारे जहां के दर्दों गम,
के जज़्ब कर ज़हर खुदा हो जाना हैं मुझे||
ये सोने का शहर तू ही रख|
दे दे मुझे बस वो बंजर जमीं,
के शहर नया बसाना हैं मुझे||
ये ऐशों आराम दिल का चैन,
ये सारी रोशनियाँ तू ही रख|
दे दे मुझे बस बेचैनियाँ,
के अब कुछ कर दिखाना हैं मुझे||
ये लबों पे खुशियाँ तू ही रख,
ये खुशियों से भरे बाज़ार तू ही रख|
दे दे मुझे सारे जहां के दर्दों गम,
के जज़्ब कर ज़हर खुदा हो जाना हैं मुझे||
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