कभी देखा हैं तुमने ,
सूरज को चांदनी में नहाते हुए|
वो तो जलता बस जलता हैं ,
रोशनी करने के लिए ||
कभी देखा हैं तुमने,
हवा को पेड़ों पे ठहरे हुए|
वो तो चलती हैं बस चलती हैं,
खुशुबू फेलाने के लिए||
कभी देखा हैं तुमने ,
नदीं को कहीं थमते हुए |
वो तो बहती हैं बस बहती हैं ,
प्यास सबकी बुझाने के लिए ||
कभी देखा हैं तुमने,
जमीं को आसमां से मिलते हुए |
वो जुदा हैं बस जुदा हैं,
इस दुनिया को कायम रखने के लिए ||
Zameen-aasmaan ka milan aur judayee,dono aankhon ka bharam hee to hain!
ReplyDeleteBahut sundar rachana!
antim do panktiyon ne naya aayam diya hai is rachna ko... Bahut khoob
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