Wednesday, July 18, 2012

मैं भी क्या पागल हूँ

पानी में आग चाहता हूँ
सहरा में सैलाब चाहता हूँ
मैं भी क्या पागल हूँ
तेरा प्यार चाहता हूँ

अँधेरे वीरानों से घिरा मैं
जो जला न सका कोई चराग
अजब दीवाना हूँ
रोशनी को आफताब चाहता हूँ


जानता हूँ आपके ख़्याल
आप नहीं चाहते मेरा साथ
फिर हर अंजुमन
तेरा ही साथ चाहता हूँ

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