वो मेरी तन्हाई नहीं सुनता
वो मेरा दर्द नहीं बीनता
मैं आया यहाँ तक जिस आस पे
वो उस पे गौर भी नहीं करता
माना हूँ अजीब अजीब चाहते हैं दिल की
कोई पर हमें अब क्यों इंसानों मैं नहीं गिनता
जान ले ले अगर वो चाहे अब
इस कंगाल से अब देते कुछ नहीं बनता
कहते हैं के दिल से चाहों तो क्या नहीं मिलता
पर क्या करे इस बेचारे से चाहते अब कुछ नहीं बनता
वो मेरा दर्द नहीं बीनता
मैं आया यहाँ तक जिस आस पे
वो उस पे गौर भी नहीं करता
माना हूँ अजीब अजीब चाहते हैं दिल की
कोई पर हमें अब क्यों इंसानों मैं नहीं गिनता
जान ले ले अगर वो चाहे अब
इस कंगाल से अब देते कुछ नहीं बनता
कहते हैं के दिल से चाहों तो क्या नहीं मिलता
पर क्या करे इस बेचारे से चाहते अब कुछ नहीं बनता
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