साफ़ करता हूँ जब भी शीशे पे जमी रात की ओंस को
मन करता हैं तेरा नाम लिखूं उसपे , अपनी जिंदगी की तरह
फिर रोक लेता हूँ खुद को कुछ सोच हमेशा
याद आ ही जाती हैं हकीकत, मुझे हर सबह की तरह
मुस्कराता हूँ देता हूँ हल्की चोट सर को अपने हाथों से
मुड़ता हूँ कुछ कदम हट के पीछे , चलता हूँ फिर करने दुनिया को सलाम हमेशा की तरह
मन करता हैं तेरा नाम लिखूं उसपे , अपनी जिंदगी की तरह
फिर रोक लेता हूँ खुद को कुछ सोच हमेशा
याद आ ही जाती हैं हकीकत, मुझे हर सबह की तरह
मुस्कराता हूँ देता हूँ हल्की चोट सर को अपने हाथों से
मुड़ता हूँ कुछ कदम हट के पीछे , चलता हूँ फिर करने दुनिया को सलाम हमेशा की तरह
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