हमने ने रोका आंसुओं को कुछ इस तरह
के देख के खुदा भी टूट कर रो पड़ा
यों तो रहे सफर में हम जिंदगी भर
पर न जाने क्यों मंजिलों से वास्ता नहीं पड़ा
अब क्यों आये कोई मेरे दर पे ऐ खुदा
बहुत दिनों से किसी को हमसे कोई काम नहीं पड़ा
अच्छा बुरा क्या हैं समझ समझ का फेर हैं
शुक्र मना ऐ "शफ़क" तुझे वो फ़ेसला लेना नहीं पड़ा
के देख के खुदा भी टूट कर रो पड़ा
यों तो रहे सफर में हम जिंदगी भर
पर न जाने क्यों मंजिलों से वास्ता नहीं पड़ा
अब क्यों आये कोई मेरे दर पे ऐ खुदा
बहुत दिनों से किसी को हमसे कोई काम नहीं पड़ा
अच्छा बुरा क्या हैं समझ समझ का फेर हैं
शुक्र मना ऐ "शफ़क" तुझे वो फ़ेसला लेना नहीं पड़ा
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