Tuesday, December 27, 2011

हमने ने रोका आंसुओं

हमने ने रोका आंसुओं को कुछ इस तरह
के देख के खुदा भी टूट कर रो पड़ा


यों तो रहे सफर में हम जिंदगी भर
पर न जाने क्यों मंजिलों से वास्ता नहीं पड़ा


अब क्यों आये कोई मेरे दर पे ऐ खुदा
बहुत दिनों से किसी को हमसे कोई काम नहीं पड़ा

अच्छा बुरा क्या हैं समझ समझ का फेर हैं
शुक्र मना ऐ "शफ़क" तुझे वो फ़ेसला लेना नहीं पड़ा





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