हाँ दर्द हैं इक प्यास हैं
के कुछ अनकही सी रह गयी जिंदगी
हाँ आस हैं झूठी सी हैं
के कुछ अध्रूरी सी रह गयी जिंदगी
हाँ शिकायतें हैं खुद ही से हैं
के कुछ बेनूर सी रह गयी जिंदगी
के कुछ अनकही सी रह गयी जिंदगी
हाँ आस हैं झूठी सी हैं
के कुछ अध्रूरी सी रह गयी जिंदगी
हाँ शिकायतें हैं खुद ही से हैं
के कुछ बेनूर सी रह गयी जिंदगी
No comments:
Post a Comment