Saturday, November 9, 2013

बिन कहे - बिन कहे

बादल  की बूंदों के साथ हूँ
इस हवा में नम सा अहसास हूँ
मैं नहीं हूँ तेरे संग मगर
हर पल जी रहा तेरे ही साथ हूँ

बिन कहे - बिन कहे

रात में वो चाँद हूँ जो देखता तुझे सारी  रात हूँ
अमावस में अँधेरे सा पर देता पहरा पूरी रात हूँ
सूरज कि बन के किरण तकता  तेरी खिड़की से तुझे बार बार हूँ

बिन कहे - बिन कहे

हम भी लिखेंगे अपना वाला sad song

हम भी लिखेंगे अपना वाला sad  song

दुनिया को सुनाएंगे , रात भर जगाएंगे
खुशनुमा आँखों में आंसू भर लायेंगे

के हम भी लिखेंगे अपना वाला sad  song

जिंदगी यूँ ही बिताएंगे
बस यूँ ही बेमकसद चलते जायेंगे
मंजिलें क्या दुनिया को ठुकराएंगे

के हम भी लिखेंगे अपना वाला sad  song

दिल चीर के दिखलायेंगे
पोस्टर यार अपने दर्द के छपवायेंगे
अहसासों कि अपने देखते हैं क्या ये कीमत लगाएंगे

के हम भी लिखेंगे अपना वाला sad  song


Saturday, August 3, 2013

हे जन !! जाग भाग अब रात जला

हे जन !!  जाग भाग अब रात जला
इस दिल में अब कुछ विश्वास जगा

हैं तेरे ही हाथों में तेरी तक़दीर
उस मौन पत्थर की मूर्त को जता

वो कौन हैं जो तुझे रोके हैं
तेरे सपनो को जो हर पल रोंदे हैं

तू भी इस मिट्टी का बना
उनको जरा अपना हक़ जो जता 

रात दिन जब तू ख़पे  हैं
तभी तो तेरा चूल्हा जले हैं

छीने  फिर भी मुहं से निवाला कोई
तो सिंहों सी दहाड़ लगा

जब गाँव की बेटी बेटी न रहे
बजारों में जब हो उनकी आबरू रुसवा

न चुप बेठ  न आसूं बहा
बन नरसिंह  पाप को जड़ से मिटा

क्यों दरिद्रता तेरे ही खातें में
मिले क्यों हर बार झूठा वादा  बाटें  में

क्यों तेरे घर में रहे कला सा उजाला
पूछ जरा उनकी जगमगाती रातों से

बच्चों को तेरे भर पेट खाना नहीं हैं
स्कूल क्यों उनका आना जाना नहीं हैं

बीनते हैं क्यों कूड़ा झुलसती गर्मी में
हो बेसहारा तो क्यों उनका कोई सहारा नहीं हैं


Monday, July 1, 2013

खुदा न करे के तू तन्हा रहें

खुदा  न करे के तू तन्हा  रहें
जा रहा हूँ मैं के मुझे जाना ही होगा

वक़्त की राह पर , तुम न थकना कभी
न देखना मुड़  के पीछे , तुम्हें मुझे भुलाना ही होगा

रात के छोर पर , जब चले हौसला भी छोड़कर
तुम न घबराना कभी, दिया इक जलना ही होगा

मैं रहू न रहूँ
इस बड़े से जहाँ में , तुम्हे अपना कोई बनाना ही होगा

Tuesday, June 4, 2013

अंधेरों से आगे उजालों का गाँव हैं

अंधेरों से आगे उजालों का गाँव हैं

उमीदों से बनी पगडंडियाँ उस की
और इरादों की नेक उन पे छाव हैं
लहलहाते है वहां खेत मेहनत के
सीचती जिन्हें नदी प्यार की सुबह शाम हैं

अंधेरों से आगे उजालों का गाँव हैं


हर कोई वहाँ एक से बढकर एक है
पर फिर भी न वहाँ कोई सब के ऊपर एक हैं
हर की नज़र में वहाँ हर कोई खास हैं
सुनते है वो रखते अपना आइना हर पल साथ हैं

अंधेरों से आगे उजालों का गाँव हैं

न मस्जिद की अज़ाने , न मंदिरों का अधूरा ज्ञान हैं
जो भी हैं सब ने सीखा  जिंदगी इक साथ हैं
स्कूल जिंदगी के वहाँ खुले हर पीपल की छावं हैं
बच्चे सीखें बुजुर्गों से जिनके तुर्जूबो  की मिसाल हैं

अंधेरों से आगे उजालों का गाँव हैं

बावरें ... बावरें ... बावरें

चाहें जैसा भी तू भेष धर ले
उसके मन में न समा पायें तू

चाहे कितना भी तू सूरज से लड़ ले
उसकी परछाई न बन पायें तू

बावरें ... बावरें ... बावरें


चाहें कितना भी तू इंतज़ार कर ले
उसका वक़्त न बन पायेगा रे तू

चाहें कितना भी तू अब लुटा जिंदगी
उसकी मुस्कराहटें न बन पायेगा तू

बावरें ... बावरें ... बावरें

Wednesday, April 24, 2013

चल चले लिखें नयी सहर

चल चले लिखें नयी सहर
रात के पिंजरों को तोड़कर
उन नम हम आँखों को खोजे
दे आने वालें उजालों की उन्हें खबर

चल चले लिखें नयी सहर

चंदा मामा से चल ये कहें
रात भर वो यूँ ही क्यों घूमता रहें
आ के रहें बड़े मैदान के पेड़ पर
रात भर हमारा खेल फिर चलता रहें

चल चले लिखें नयी सहर

देख दुनिया ये कितनी रंगीन हैं
तितलियों के पर भी अजीब हैं
पकड़ता हूँ इतिना संभाल के
फिर रंग देते हैं अंगुलियां ये जान के

चल चले लिखें नयी सहर

आवाजों में इतिना रंज क्यों हैं
न जाने इन्हें हर बात का गम क्यों हैं
देख मैंने तो तोड़कर इस पत्ती को
देख लियें हजारं रंग दिल खोल कर

चल चले लिखें नयी सहर

सच में बड़ा हैं ये तेरा शहर
शायद मेरे गाँव से दो चार गज
हर तरफ परेशान से इंसान से
थक गया हूँ समझातें यहाँ मतलब प्यार के

चल चले लिखें नयी सहर

Monday, March 11, 2013

you are in rush

you are in rush to achieve that beautiful smile
you thought what you are doing is right
and all this while truth what you perceive
was on your side

as you believe you are after that solemn cause
Every action you take your mind justifies
soul tries you to stop, urges you to think for a while

you thought you have reasoned for a quite a while
now you can see clearly that you are right
however you never realize you were blinded by I


you have seen what you wanted to see
you have chosen to be always right
when soul asked you a simple question
"aint strange that you are always right?"
mind answers back in haste
you are just being practicle all this while


as you go along razing false ego's and false prides
your mirror tells, you are begining to shine
shining at what cost you never realize
in this glitter and appluses
you never miss something
with which you were born
 

Saturday, March 2, 2013

broken arrows

broken arrows and blood on the ground
sun shining straight in to my eyes
wind caressing my all new wounds 
shortly i'm going to fall to this ground
but believe me i fought till the end
very very end

breathless i'll be without life
as you may see it on the ground
without any worries of the time
fearless of the journey i'll be
but believe me i fought it till the end
very very end

Saturday, February 23, 2013

As the night begins to end

As the night begins to end
and the fight sees the end
pretending to be fine  morning comes
bearing a smile sheepish smile

as i look into your eyes
to see something which i could not find
in those moments of darkness
absolute madness of minds


what i see bring home to me
solace peace of mind for this time
i see in those beautiful eyes
hope to begin again to work towards a beautiful end


oh Lord ! melt this moment
into billions of smiles
and let it pour into the hearts
of depleted bodies and tortured souls


let this time heal the pain
let it wipe out all the signs
of wrath of minds which went insane
let life begin journey to Home







Wednesday, January 9, 2013

आ जरा तू इस गली तुझे प्यार दूंगा

अपना सा ही कोई मैं रंग दूंगा
अपना ये सारा का सारा आसमां  दूंगा
अपनी सी हैं हर जो बात मुझमें वो हर बात दूंगा

आ जरा तू इस गली तुझे प्यार दूंगा


अपना हर इक ख्याल दूंगा
अपनी हर इक तुझे सांस दूंगा
अपना हर दिन अपनी मैं हर रात दूंगा

आ जरा तू इस गली तुझे प्यार दूंगा


चल रहा हूँ न जाने किस सफर पे
पर मैं तुझको वो हर तलाश दूंगा
ख्वाब न जाने देखे हैं किस वक़्त के
पर मैं तुझे वो हर ख्वाब दूंगा
कह रहा हूँ मैं सच मेरे सनम

आ जरा तू इस गली तुझे प्यार दूंगा


हो मेरी क़ीमत चाहे कुछ भी इस जहां में
तुझ पे अपना सब कुछ मैं वार दूंगा
सोचता हूँ मैं तुझको तुझ से भी ज्यादा
तेरे होने का एहसास दूंगा
सोच ले इक बार तो तू ऐ दिलनशी

आ जरा तू इस गली तुझे प्यार दूंगा



 

Monday, January 7, 2013

न जाने क्यों

मेरी हसरतों में बस गयी हैं तू
और जाती भी नहीं हैं न जाने क्यों


मेरी जिंदगी में रच बस गयी हैं तू
और न ये जिंदगी उजड़ती  हैं न जाने क्यों


ख्वाब तो देखे थे मगर जीने की रही न कोई ख्वाहिश उनको
तेरा  इंतज़ार तेरे बाद भी ख़तम न हुआ न जाने क्यों


कौन समझा पाता  हमें जब समझना ही हम न चाहे
दिखी रही थी हक़ीकत हर पल पर हुआ न मैं रूबरू न जाने क्यों


अब जब हैं बस तन्हाइयां सिर्फ चुपचाप सी तन्हाइयां
जिंदगी बन गयी हैं सवाल सी न जाने क्यों




 

Tuesday, January 1, 2013

तुम ???

तुम

इन तनहाइयों में भी तुम
महफ़िलों में भी बस तुम

तुम

जाने कहाँ हो तुम
जाने किस गली
जाने किस शहर
जाने किसके संग हो तुम

तुम

मेरी यादों में हो तुम
मेरे खवाबों में हो तुम
हर एक सांस में हो बस तुम

हाँ तुम

जाने कहाँ हो तुम
जाने किस गली
जाने किस शहर
जाने किसके संग हो तुम

तुम

जाने कहाँ हो तुम