चाहें जैसा भी तू भेष धर ले
उसके मन में न समा पायें तू
चाहे कितना भी तू सूरज से लड़ ले
उसकी परछाई न बन पायें तू
बावरें ... बावरें ... बावरें
चाहें कितना भी तू इंतज़ार कर ले
उसका वक़्त न बन पायेगा रे तू
चाहें कितना भी तू अब लुटा जिंदगी
उसकी मुस्कराहटें न बन पायेगा तू
बावरें ... बावरें ... बावरें
उसके मन में न समा पायें तू
चाहे कितना भी तू सूरज से लड़ ले
उसकी परछाई न बन पायें तू
बावरें ... बावरें ... बावरें
चाहें कितना भी तू इंतज़ार कर ले
उसका वक़्त न बन पायेगा रे तू
चाहें कितना भी तू अब लुटा जिंदगी
उसकी मुस्कराहटें न बन पायेगा तू
बावरें ... बावरें ... बावरें
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