ख़ामोशी भी इतनी बेवजह नहीं होती,
माना तन्हा हैं तू पर तन्हाई बेवजह नहीं होती|
जाने वो कब कहाँ से आ जायें,
धड्कनो में हलचल बेवजह नहीं होती ||
तेरे दिल में हैं वो हरदम,
और तू उन निगाहों में नहीं |
फिर भी भूले से गर वो देख ले,
बैचेनी इन साँसों में बेवजह नहीं होती ||
No comments:
Post a Comment