Monday, June 18, 2012

सुना हैं मसीहाओं की मौत नहीं होती

सुना हैं कई ख्वाबों की उम्र नहीं होती
जवाबों को कई सवालों की फिक्र नहीं होती


रहगुजर ही ये ऐसी हैं के मंजिलों की जुस्तुजू  नहीं होती
रात ही हैं ये ऐसी के सुबह की कोई ख्वाहिश नहीं होती


क्यों हो मोहब्बत मेरी तेरे जैसी कभी कभी  मोहब्बत में पाने की आरज़ू नहीं होती
जिंदगी जी रहा हूँ बेसबब बेपरवाह ,दुनिया को न जाने क्यों ये बात मुकरर  नहीं होती


सोचता हूँ के जाने दूँ यों ही सब कुछ के अब कुछ अपना कहने की शिदत नहीं होती
मिट जाने का शौक हैं मुझे मसीहा न बनाओ सुना हैं मसीहाओं की  मौत नहीं होती

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