दरवाज़ा खोल तो दूँ इस घर का
पर इंतज़ार मैं हूँ वो दस्तक तो दे
हर बार नजर फेर लेता हैं मिल जाये अगर
कभी तो नजर भर मेरे होने का ऐहसास तो दे
न जाने कर चूका हूँ मैं कितने सवाल
अब सोचता हूँ के वो कोई जवाब तो दे
कौन जाने कहाँ तक हैं मेरी बेफाई के चर्चे
मुझे मुक्तसर ही सहीं सफाई का मौका तो दे
वो कहे तो इक ही पल मैं हो जाने दूँ सब फनाह
पर मेरा खुदा वो मुझे इक पल खुदाई का तो दे
पर इंतज़ार मैं हूँ वो दस्तक तो दे
हर बार नजर फेर लेता हैं मिल जाये अगर
कभी तो नजर भर मेरे होने का ऐहसास तो दे
न जाने कर चूका हूँ मैं कितने सवाल
अब सोचता हूँ के वो कोई जवाब तो दे
कौन जाने कहाँ तक हैं मेरी बेफाई के चर्चे
मुझे मुक्तसर ही सहीं सफाई का मौका तो दे
वो कहे तो इक ही पल मैं हो जाने दूँ सब फनाह
पर मेरा खुदा वो मुझे इक पल खुदाई का तो दे
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