Thursday, January 26, 2012

जब हद से कोई गुज़र गया...

जब हद से कोई गुज़र गया
जब दर्द भी दर्द से टूट गया
जब वक़्त भी सहमा सा थम गया
जब भीतर भीतर सब जल गया

तब भी न जाने क्यों रहा
मेरा खुदा चुपचाप -चुपचाप

जब सासें साथ न देने लगी
जब तन्हाई भी तन्हा लगने लगी
जब आँखों में आसूं भी न रहे
जब दुनिया ओझल होने लगी

तब भी न जाने क्यों रहा
मेरा खुदा चुपचाप -चुपचाप

जब अहसासों की कीमत भी न रही
जब ख़ुशी भी गम सी लगने लगी
जब सपने सारे बिखरने लगे
जब खुद से बेगाना मैं होने लगा

तब भी न जाने क्यों रहा
मेरा खुदा चुपचाप -चुपचाप
न जाने क्यों रहा खुदा
चुपचाप चुपचाप ....




1 comment: