जब हद से कोई गुज़र गया
जब दर्द भी दर्द से टूट गया
तब भी न जाने क्यों रहा
मेरा खुदा चुपचाप -चुपचाप
जब सासें साथ न देने लगी
जब तन्हाई भी तन्हा लगने लगी
जब आँखों में आसूं भी न रहे
जब दुनिया ओझल होने लगी
तब भी न जाने क्यों रहा
मेरा खुदा चुपचाप -चुपचाप
जब अहसासों की कीमत भी न रही
जब ख़ुशी भी गम सी लगने लगी
जब सपने सारे बिखरने लगे
जब खुद से बेगाना मैं होने लगा
तब भी न जाने क्यों रहा
मेरा खुदा चुपचाप -चुपचाप
न जाने क्यों रहा खुदा
चुपचाप चुपचाप ....
जब दर्द भी दर्द से टूट गया
जब वक़्त भी सहमा सा थम गया
जब भीतर भीतर सब जल गया तब भी न जाने क्यों रहा
मेरा खुदा चुपचाप -चुपचाप
जब सासें साथ न देने लगी
जब तन्हाई भी तन्हा लगने लगी
जब आँखों में आसूं भी न रहे
जब दुनिया ओझल होने लगी
तब भी न जाने क्यों रहा
मेरा खुदा चुपचाप -चुपचाप
जब अहसासों की कीमत भी न रही
जब ख़ुशी भी गम सी लगने लगी
जब सपने सारे बिखरने लगे
जब खुद से बेगाना मैं होने लगा
तब भी न जाने क्यों रहा
मेरा खुदा चुपचाप -चुपचाप
न जाने क्यों रहा खुदा
चुपचाप चुपचाप ....
Bahut sundar rachana!
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