Sunday, November 20, 2011

इक ख़्वाब हैं, हाँ इक ख़्वाब हैं

इक ख़्वाब हैं, हाँ इक ख़्वाब हैं|

कभी झूठा भी हैं,कभी कुछ सच्चा भी हैं|
कभी कुछ भी नहीं, कभी सब कुछ|

इक ख़्वाब हैं, हाँ इक ख़्वाब हैं|

कभी कुछ सुर्ख सा,आँखों में दिखे|
कभी हल्का हल्का, दर्द बन दिल में उठे|

इक ख़्वाब हैं, हाँ इक ख़्वाब हैं|

कभी मन करता हैं, के रंग दूं सारा जहां उस से|
कभी डर के कही कोई छीन न ले, छुपाता फिरू दुनिया से उसे||

 इक ख़्वाब हैं, हाँ इक ख़्वाब हैं|


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