इक ख़्वाब हैं, हाँ इक ख़्वाब हैं|
कभी झूठा भी हैं,कभी कुछ सच्चा भी हैं|
कभी कुछ भी नहीं, कभी सब कुछ|
इक ख़्वाब हैं, हाँ इक ख़्वाब हैं|
कभी कुछ सुर्ख सा,आँखों में दिखे|
कभी हल्का हल्का, दर्द बन दिल में उठे|
इक ख़्वाब हैं, हाँ इक ख़्वाब हैं|
कभी मन करता हैं, के रंग दूं सारा जहां उस से|
कभी डर के कही कोई छीन न ले, छुपाता फिरू दुनिया से उसे||
इक ख़्वाब हैं, हाँ इक ख़्वाब हैं|
कभी झूठा भी हैं,कभी कुछ सच्चा भी हैं|
कभी कुछ भी नहीं, कभी सब कुछ|
इक ख़्वाब हैं, हाँ इक ख़्वाब हैं|
कभी कुछ सुर्ख सा,आँखों में दिखे|
कभी हल्का हल्का, दर्द बन दिल में उठे|
इक ख़्वाब हैं, हाँ इक ख़्वाब हैं|
कभी मन करता हैं, के रंग दूं सारा जहां उस से|
कभी डर के कही कोई छीन न ले, छुपाता फिरू दुनिया से उसे||
इक ख़्वाब हैं, हाँ इक ख़्वाब हैं|
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