Monday, November 14, 2011

क्यों ....

वो मेरा नहीं, मैं उसका नहीं|
हैं कुछ भी नहीं,पर क्यों||

ख़ुशी निगाहों में नहीं,तमन्ना कोई दिल में नहीं|
जुबां मेरी फिर भी चुप सी,पर क्यों ||

इक नज़र वो देखे भी नहीं, कुछ कभी कहे भी नहीं |
हरदम दिल में रहे वो,पर क्यों ||

उसका वादा भी नहीं,कोई इरादा भी नहीं|
इंतज़ार सा फिर भी रहे हमें,पर क्यों ||

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