रहा पंडत में उम्र भर, अब अंत समय आया हैं।
इक छोटी सी ख्वाहिश सीने में, अब तो मुझे पीने दो॥
कहा किसी को कुछ नहीं,भला बुरा सब सुनता रहा।
थोड़ा ही सही अब मुझे बुरा कहने दो॥
राम-राम मैंने जप किया, जिंदगी भर तप किया।
अब इस ईद में मुझे कुछ मीठी सेवेआं चखने दो॥
कुछ नहीं मुझको ज्ञान था, बस यूँ ही पोथियाँ पठता रहा।
आदमी से ही बैर करता रहा, अब तो मुझे इंसान की तरह जीने दो॥
Aah!Aur kya kahun?
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