उन आँखों की कसम हम मर ही गए होते।
जो उन निगाहों ने हमें प्यार से बुलाया होता ॥
वो जो देखती गर चुपके से शरमा के मुझे ।
मैंने ये शहर सारा सर पे उठाया होता ॥
उनके आने की होती हमें गर खबर।
मैंने इस दिल को उनकी राहों में बिछाया होता॥
आज हँसतें हो हम पे हँस लो बेखबर।
यों न हँसतें गर उसने तुमें उस तरह पुकारा होता॥
कह दे थे वो गर हमें जान दे दो "शफक"।
हमने ये सर उस पल ही गवांया होता ॥
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