Friday, March 5, 2010

वो उदासियाँ कहाँ गयी

वो उदासियाँ कहाँ गयी
वो नम आँखों से हंसने की अदा कहाँ गयी

वो जिंदगी जिसमें दर्द ही दर्द था
उसकी गमगीन कहानियाँ कहाँ गयी

वो सबह उठते ही ख्याल आता था उनका
उस ख्याल की फुर्सत कहाँ गयी

दूर तक मुड़ मुड़ के जो तू देखता था उनको
हाय ! तेरी वो मासूम उम्मीद कहाँ गयी

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