ये बहारें फिर भी आएँगी, चाहे हम हो न हो।
ये चाँद तारे यूँ ही जगमगायेंगे ,चाहे हम हो न हो॥
रोज चमकेगा सूरज यूँ ही,शाम के इंतज़ार में।
काम यूँ ही होते रहेंगे, इस बड़े बाज़ार में ॥
बच्चे यूँ ही खिलखिलाएँगे,शाम को इस गली में शोर मचाएंगे।
चौपाल यूँ ही सजेगी, चाय के दौर यूँ ही चलते जाएँगे॥
पतंगे यूँ ही वसंत के आकाश को चूमेंगी, होली उसी हुडदंग से खेली जाएगी.
मोहल्ले में यूँ ही राम लीला होंगी,हर दिवाली गलियां यूँ ही रोशन हो जाएंगी॥
मौत कुछ और नहीं एक और पड़ाव हैं, वहाँ से आगे जाना किसी और गाँव हैं ।
दोस्त मेरे जिंदगी भर यादें मेरी तेरे साथ होंगी ,चाहे हम हो न हो॥
Behad sundar ashar hain! Wah!
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