में वही हूँ जो कल तलक तुम्हारा था।
वही जिसके बिना न एक पल तुम्हारा गुज़ारा था॥
वही जो काली रात में सुबह का इशारा था।
वही जो ढलती शाम में सुबह का नज़ारा था॥
वही जिसे देख के तुम इतराया करते थे।
वही जिसे गाहे बगाहे कोई ताज तुम पहनाया करते थे॥
वही जिस पे आ के हर मुश्किल थक जाया करती थी।
वही जिस से हर मंजिल को राह जाती थी॥
वही हाँ वही गुजरे वक़्त का एक अक्स हूँ।
आज का नहीं पर कल का सुनहरा वक़्त हूँ॥
Ekek rachana daad maangtee hai!
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