Friday, March 19, 2010

में वही हूँ जो कल तलक तुम्हारा था

में वही हूँ जो कल तलक तुम्हारा था
वही जिसके बिना एक पल तुम्हारा गुज़ारा था

वही जो काली रात में सुबह का इशारा था
वही जो ढलती शाम में सुबह का नज़ारा था

वही जिसे देख के तुम इतराया करते थे
वही जिसे गाहे बगाहे कोई ताज तुम पहनाया करते थे

वही जिस पे के हर मुश्किल थक जाया करती थी
वही जिस से हर मंजिल को राह जाती थी

वही हाँ वही गुजरे वक़्त का एक अक्स हूँ।
आज का नहीं पर कल का सुनहरा वक़्त हूँ॥

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