Friday, March 5, 2010

में किससे कहूं कैसे कहूं, बेकसी अपनी

में किससे कहूं कैसे कहूं, बेकसी अपनी
मैंने खुद के हाथों से , सजाई हैं कब्र अपनी

मिलना भी चाहा पर मिल सका,अजब थी यारों बेखुदी अपनी
कहा बहुत कुछ मगर कुछ कहा भी नहीं ,सुन के सब खामोश थी जिंदगी अपनी

बारहा उससे मिलने गया मिल भी आया मगर, बुझती नहीं अजब थी तिशनगी अपनी
लगता हैं यूँ ही गुजरेगी जिंदगी,कटी फटी हैं हाथों की लकीरें अपनी

5 comments:

  1. में किससे कहूं कैसे कहूं, बेकसी अपनी।
    मैंने खुद के हाथों से , सजाई हैं कब्र अपनी॥
    Sundar!

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  2. Anek shubhkamnaon sahit swagat hai..

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  3. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

    कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
    वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
    डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
    इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
    और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये

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  4. इस नए चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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