इस गमें दिल की क्या दवा करे कोई
जी के क्या करना हैं क्यों जीने की दुआ करे कोई
दर्खुवार हैं हम जब सितमे वक़्त
क्यों न राहों में मेरी कांटें बोया करे कोई
तेरे दर पर लगा हैं खुशियों का मेला संगदिल
क्यों मेरी जख्मों की पुरशिश को आये कोई
कल तलक तो हमने भी पहरेदार लगाए थे
पर अब क्या हैं मेरे पास क्या छीनने आये कोई
जी के क्या करना हैं क्यों जीने की दुआ करे कोई
दर्खुवार हैं हम जब सितमे वक़्त
क्यों न राहों में मेरी कांटें बोया करे कोई
तेरे दर पर लगा हैं खुशियों का मेला संगदिल
क्यों मेरी जख्मों की पुरशिश को आये कोई
कल तलक तो हमने भी पहरेदार लगाए थे
पर अब क्या हैं मेरे पास क्या छीनने आये कोई
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