DIVINE SOLICITUDE
Saturday, March 28, 2009
कुछ टूटते ख्वाबों को ...
कुछ टूटते ख्वाबों को ,
पलकों में सजाया हैं हमने
क्या कहे दर्दे इश्क ,
में
क्या पाया हैं हमने
झूठी आस पे आने को उसकी,
जिंदगी को गुजारा हैं हमने
मेरे इन्तेजार को सज़ा न कह,
इसी में जिंदगी का मजा पाया हैं हमने
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