कह दो घटाओं से ,
के छा जायें बस्ती पे
कोई याद आ भी जायें,
तो भी हम रोएंगे नहीं
मैंने देखा हैं सच को ,
बारहा होतें बेआबरू
मेरा प्यार ठुकराओगे ,
तो हम रोएंगे नहीं
खुदाई तो हैं खुदा के लिए ,
इंसा के बस की बात कहा
तुम न बचा सको अगर जिंदगी,
तो हम रोएंगे नहीं
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