Tuesday, August 9, 2011

मैंने देखा हैं सितारों को जलते हुए...

मैंने देखा हैं सितारों को जलते हुए,
              जिंदगी के तारो  को इक इक कर टूटते हुए||

टूटती देखी हैं मैंने हज़ारों  ख़वाहिशे,
                   मैंने देखा हैं  बेआबरू प्यार को होते हुए||

 हारी हैं मैंने कई बाजियां जीतते हुए,
                   मैंने देखा हैं चरागों को उम्मीद के बुझते हुए||

कहते हो जिंदगी भर न रहेगा ग़म उसका,
                   मैंने देखा हैं ग़म को जिंदगी बनते हुए||

No comments:

Post a Comment