Friday, October 2, 2009

में सोचता हूँ , के वो क्यों न हुआ

में सोचता हूँ , के वो क्यों न हुआ।

जो होता तो,न जाने क्या क्या होता॥

इस गली से थोड़ा आगे,उस बाग़ के किनारे।

अपना भी एक छोटा सा आशियाँ होता॥

घर के दरवाजें होते कत्थई रंग के, खिड़कियों पे परदे होते कुछ हलके रंग के।

घर की दीवारों पे, तेरी मेरी तस्वीरें होती॥

हर दिन शाम को,तुम करती मेरा इन्तेजार ।

में आता ले के , तेरे चेहरे पे एक मीठी सी मुस्कान॥

ऐसे दिन होते तो कैसा होता, हर सुंदर सपना सच होता तो कैसा होता।

जिंदगी यूँ ही मेरहबान होती,तो हर लम्हा कितना खुबसूरत होता ॥

नाकामियां और में......

नाकामियां और में ,साथ-साथ चलते रहे।

कभीं में उसकी, कभी वो मेरी पर्छैयाँ बन॥

बहुत सी आशाएं थी, इस दिल में।

वो टूट गई हालातों के पत्थर से, एक शीशा बन॥

देखता हूँ ख़ुद को आज भी,आईने में एतेमेनान से।

न जाने इस पतझड़ में , कहा गई वो रोनक बहार बन॥

हर गली इस शहर की ,आज भी लगती है पहचानी मगर।

इनमें न जाने कहा गई मेरी पहचान , गुमनामी का इश्तेहार बन॥

सोचता हूँ आज भी ,इन अंधेरों को रोशन करने की.

पर हौसला पल में कहा जाता हैं, तपती जमी में पानी बन॥

पी गया हूँ सारा जहर, जो दुनिया से मिला हैं ।

पर क्यों मुझे देवता बनाने लगे हो, मर जाने दो एक इंसान बन॥

Wednesday, August 26, 2009

कल का हमको एक अरमान सही

आज तुम भी थे, आज हम भी थे।


फिर भी ऐसा लगा, कितने हम अजनबी थे॥


चार पल का साथ सही , जिंदगी हुई यों ही मेहरबान सही ।


ना देखा तुमने हमें न हमने तुमें, फिर भी थी तो मुलाकात सही ॥


पता हैं वक्त नहीं साथ हैं मेरे , मगर दिल में तेरी एक हसरत ही सही ।


कल फिर यों ही मिल नहीं पायेंगे हम , पर कल का हमको एक अरमान सही॥




Monday, April 20, 2009

क्या जवाब दूँ की मैं हूँ कौन...

क्या जवाब दूँ की मैं हूँ कौन,
भूल गया हूँ के में था कौन \\

आख़िर वो मुझे क्यों याद रहा ,
जिसके लिए में हूँ अब जाने कौन \\

नम आंखों से देखता हूँ इस खाली जाम को,
ले गया माये जिंदगी जाने कौन \\

नस- नस में खून कहा अंगारे दर्द के बहते हैं ,
इस जहा में इलाजे इश्क आख़िर जाने कौन \\

आग नहीं धुआं नहीं ...

आग नहीं धुआं नहीं ,
फिर भी कुछ जलता हैं ऐसा लगता हैं|

मुसाफिर पूछता हैं इस शहर में ईमान का पता ,
रास्ता भटक गया हैं ऐसा लगता हैं|

भगदड़ हैं मंजिल हर किसी को हैं पानी,
मर गया जमीर इस दौड़ में ऐसा लगता हैं|

दुख देख के किसी का आते नहीं आंसू,
काल पड़ा हैं आसुओं का ऐसा लगता हैं |

सोने के मन्दिर में बेठा वो कभी बाहर नहीं आता,
उसको भी हो गई आदत ऐसा लगता हैं|

Saturday, March 28, 2009

कुछ टूटते ख्वाबों को ...

कुछ टूटते ख्वाबों को ,
पलकों में सजाया हैं हमने
क्या कहे दर्दे इश्क ,
में क्या पाया हैं हमने

झूठी आस पे आने को उसकी,
जिंदगी को गुजारा हैं हमने
मेरे इन्तेजार को सज़ा न कह,
इसी में जिंदगी का मजा पाया हैं हमने

कह दो घटाओं से ...

कह दो घटाओं से ,
के छा जायें बस्ती पे
कोई याद आ भी जायें,
तो भी हम रोएंगे नहीं

मैंने देखा हैं सच को ,
बारहा होतें बेआबरू
मेरा प्यार ठुकराओगे ,
तो हम रोएंगे नहीं

खुदाई तो हैं खुदा के लिए ,
इंसा के बस की बात कहा
तुम न बचा सको अगर जिंदगी,
तो हम रोएंगे नहीं

Sunday, March 8, 2009

उसकी आंखों में डूब जाता मगर...

उसकी आंखों में डूब जाता मगर,
कुछ होश वालों ने मुझे बचा लिया

जिसकी बातें में तुझसे कर रहा हूँ हमदम,
उसने बरसों पहलें मुझे भुला दिया

हर तरफ जब छाने लगा अँधेरा,
रोशनी को थोड़ा दिल हमने जला लिया

एतबार तो नहीं था उस हंसी का मुझे,
फिर भी बातों बातों में जहर उसने पिला दिया

उसने पुछा भी नहीं , हमने सोचा भी नहीं ....

उसने पुछा भी नहीं , हमने सोचा भी नहीं
के मेरे यार ने ,हाल मेरा पुछा क्यों नहीं

उसने देखा भी नहीं, दिल मेरा जला भी नहीं
के वो निगाहें,आज हम पर रुकी क्यों नहीं

आज वो हेरा भी नहीं , हम परेशा भी नहीं
के मिल के हम,आज मिले क्यों नहीं

कोई सवाल भी नहीं, कोई जवाब भी नहीं
के था जो कल तलक, वो आज दिलों में क्यों नहीं

उससे शिकायत भी नहीं , कोई इल्ताज्ज़ भी नहीं
के लिखा उसका ,आख़िर बदलता क्यों नहीं

Thursday, March 5, 2009

ये बात छोटी हैं मगर, दिल में बड़ा तूफान हैं

ये बात छोटी हैं मगर, दिल में बड़ा तूफान हैं

आज फिर याद आती हैं, जो बीते कल की बात हैं

हम चले थे दो कदम ही,भूलकर हर बात को

आवाज देकर बुला लिया उसने, जो बीते कल की बात हैं

हर शहर में हर गली में, पीछा करता मेरा कल मिला

न जाने क्यों मुझसे जुदा न हुयी, जो बीते कल की बात हैं

आज फिर जाने क्यों लिख रहा हूँ, तेरे ख्याल को

कौन जाने क्या तस्वीर बनेगी उसकी , जो बीते कल की बात हैं