Wednesday, January 9, 2013

आ जरा तू इस गली तुझे प्यार दूंगा

अपना सा ही कोई मैं रंग दूंगा
अपना ये सारा का सारा आसमां  दूंगा
अपनी सी हैं हर जो बात मुझमें वो हर बात दूंगा

आ जरा तू इस गली तुझे प्यार दूंगा


अपना हर इक ख्याल दूंगा
अपनी हर इक तुझे सांस दूंगा
अपना हर दिन अपनी मैं हर रात दूंगा

आ जरा तू इस गली तुझे प्यार दूंगा


चल रहा हूँ न जाने किस सफर पे
पर मैं तुझको वो हर तलाश दूंगा
ख्वाब न जाने देखे हैं किस वक़्त के
पर मैं तुझे वो हर ख्वाब दूंगा
कह रहा हूँ मैं सच मेरे सनम

आ जरा तू इस गली तुझे प्यार दूंगा


हो मेरी क़ीमत चाहे कुछ भी इस जहां में
तुझ पे अपना सब कुछ मैं वार दूंगा
सोचता हूँ मैं तुझको तुझ से भी ज्यादा
तेरे होने का एहसास दूंगा
सोच ले इक बार तो तू ऐ दिलनशी

आ जरा तू इस गली तुझे प्यार दूंगा



 

Monday, January 7, 2013

न जाने क्यों

मेरी हसरतों में बस गयी हैं तू
और जाती भी नहीं हैं न जाने क्यों


मेरी जिंदगी में रच बस गयी हैं तू
और न ये जिंदगी उजड़ती  हैं न जाने क्यों


ख्वाब तो देखे थे मगर जीने की रही न कोई ख्वाहिश उनको
तेरा  इंतज़ार तेरे बाद भी ख़तम न हुआ न जाने क्यों


कौन समझा पाता  हमें जब समझना ही हम न चाहे
दिखी रही थी हक़ीकत हर पल पर हुआ न मैं रूबरू न जाने क्यों


अब जब हैं बस तन्हाइयां सिर्फ चुपचाप सी तन्हाइयां
जिंदगी बन गयी हैं सवाल सी न जाने क्यों




 

Tuesday, January 1, 2013

तुम ???

तुम

इन तनहाइयों में भी तुम
महफ़िलों में भी बस तुम

तुम

जाने कहाँ हो तुम
जाने किस गली
जाने किस शहर
जाने किसके संग हो तुम

तुम

मेरी यादों में हो तुम
मेरे खवाबों में हो तुम
हर एक सांस में हो बस तुम

हाँ तुम

जाने कहाँ हो तुम
जाने किस गली
जाने किस शहर
जाने किसके संग हो तुम

तुम

जाने कहाँ हो तुम