Sunday, July 29, 2012

लाइफ होगी थोड़ी complex सोचा ही नहीं था

लाइफ होगी थोड़ी complex सोचा ही नहीं था

जीने का ये missing angle हमने देखा ही नहीं था
सोचा था के बस हम  यूँ ही जीते जायेंगे
सुबह को ऑफिस और शाम को ऑफिस से घर जायेंगे
मिड ऑफ़ वीक में साथ मिले तो थोड़ी बेएर लगायेंगे
और वीकेंड पे हम यारों के साथ वक़्त बीतायेंगे


लाइफ होगी थोड़ी complex सोचा ही नहीं था

इक कमरे में रहेंगे और उसे ही जन्नत कहलायेंगे
जब चाहे ताला लगा के कहीं घूमने निकल जायेंगे
घुमते घुमते थक गए तो कहीं पे भी सो जायेंगे
रोज लिखेंगे एक कविता और यारों का torture बढाएंगे
घरवालों को रोज खेरीयत की खबर मोबाइल से करवाएंगे


लाइफ होगी थोड़ी complex सोचा ही नहीं था 

कमाएंगे और उड़ायेंगे उड़ायेंगे और कमाएंगे
रोज न हम अकाउंट में बैलेंस का हिसाब लगायेंगे
ऐसे बेफिक्रे जियेंगे की दुनियां को काम्प्लेक्स दे जायेंगे
मकान से पहले गाडी लेंगे और उसमें पूरे gadgets लगवाएंगे
रोज शाम को यारों के साथ लॉन्ग ride पे निकल जायेंगे

लाइफ होगी थोड़ी complex सोचा ही नहीं था

नारी का पूरा सम्मान करेंगे और दूर से ही निकल जायेंगे
सिंगल ही रहेंगे न हम ready to mingle का बोर्ड लगायेंगे
दुनिया की बात सुनेगे और एक आध लड़की से मिल आयेंगे
ऐसे present करेंगे खुद को के rejection ही result पाएंगे
फिर घरवालों के आगे घड़ियाली चिंता जताएंगे

लाइफ होगी थोड़ी complex सोचा ही नहीं था

45 50 तक जम के काम करेंगे और retire हो जायेंगे
कही किसी छोटी सी जगह पे जा के फिर वक़्त बीतायेंगे 
वही पर कुछ social वर्क करेंगे और लाइफ का meaning पायेंगे
खाली वक़्त में पढ़ेंगे और या फिर लिखने बैठ  जायेंगे
कुछ वक़्त मिलेगा तो कभी कभी घर या यारों से मिलने जायेंगे

लाइफ होगी थोड़ी complex सोचा ही नहीं था

आखिर वक़्त जब आने लगेगा तो खुदा का भी शुक्रियां कर आयेंगे
न रहेगा कोई बोझ सीने पे शांति से  आँखे मूँद पाएंगे
जो भी कुछ होगा वो इस दुनिया को दे कर जायेंगे
वक़्त तक उस आखिर हम सदा मुस्करायेंगे और गुनगुनायेंगे
न किसी को खबर करेंगे बस यूँ ही चुपके से  निकल जायेंगे

लाइफ होगी थोड़ी complex सोचा ही नहीं था

Saturday, July 28, 2012

I'm going Home,to where i belong

be ready cause i'm going Home
to the place to which i belong
don't be sorry , no one has to be blamed
nothing is right nothing is wrong in the end

I'm going Home,to where i belong

yes i feel sad, yes i know what i had
but i guess it's time to pack up my bags
to clean up my garbage to make up some space
and to say final goodbyes

I'm going Home,to where i belong

I know, I would have loved to go far
with you i have come so far
to leave to forget you ,it' s going to be rough
and i don't know how all this will end

I'm going Home,to where i belong 

My friend , i hope that you will be strong
you will fight it till the end
you will reach up to the stars
and will shine like as always longed
I'm going Home,to where i belong

As i begin to take that road to Home
there are tears of joys and remorse
and my heart dosn't know what to what to feel
there is a deep silence , only thing which i could hear
I'm going Home,to where i belong

Friday, July 20, 2012

सोचता हैं तू ये क्या हुआ

तू तू ही रहा मैं न हुआ
मैं मैं ही रहा तू न हुआ
सोचता हैं तू ये क्या हुआ
और मैं कहता हूँ हुआ क्या 

चलता रहा बस चलता रहा
रास्तों को ही तय बस करता रहा
मंजिलों से बच के निकलता रहा
सफर की चाहत थी वो करता रहा

सोचता हैं तू ये क्या हुआ
और मैं कहता हूँ हुआ क्या


दुनिया में खुशियों की कमी न थी
तू गम को उसके ले साथ जीता रहा
प्यारा था वो तुझे जिंदगी से ज्यादा
शायद  इस लिए तू खुद से भी बचाता रहा

सोचता हैं तू ये क्या हुआ
और मैं कहता हूँ हुआ क्या

सही गलत के तराजू में तौलता रहा खुद को
सही भी जो   तुने सोचा था
गलत भी जो तुने सोचा था
बस यूँ ही फैसले करता रहा

सोचता हैं तू ये क्या हुआ
और मैं कहता हूँ हुआ क्या


जिंदगी भर यूँ जिंदगी के इंतज़ार में
जिंदगी से दूर हो के बस चलता रहा
खीचता था जब भी कोई तुझे तेरी और
तू उस से  ही न जाने क्यों  दूर होता रहा


सोचता हैं तू ये क्या हुआ
और मैं कहता हूँ हुआ क्या

Wednesday, July 18, 2012

मैं भी क्या पागल हूँ

पानी में आग चाहता हूँ
सहरा में सैलाब चाहता हूँ
मैं भी क्या पागल हूँ
तेरा प्यार चाहता हूँ

अँधेरे वीरानों से घिरा मैं
जो जला न सका कोई चराग
अजब दीवाना हूँ
रोशनी को आफताब चाहता हूँ


जानता हूँ आपके ख़्याल
आप नहीं चाहते मेरा साथ
फिर हर अंजुमन
तेरा ही साथ चाहता हूँ

जिन्हें प्यार हुआ नहीं इस जहां में

जिन्हें प्यार हुआ नहीं इस जहां में
उन्हें तुमसा न कोई मिला होगा

अजनबी अनजान चेहरों के बीच
कोई चेहरा अपना न लगा होगा

हम चले आये उस दिन उनकी महफ़िल से ये सोचकर
शायद उन्हें इस तरह मेरा इकरार बुरा लगा होगा

कोई बात नहीं हंस लो मेरे रकीबों मुझ पर
इस जहां में हर किसी का वक़्त आता होगा

तुमने चाहा नहीं पर ये तो मानोगे
तुम्हे कभी न कभी ये शख्श याद आता होगा

और हम जिए जाते हैं इसी आस पे
के शायद कभी न कभी हमारा मिलना होगा


मोहब्बत की नहीं जाती

मोहब्बत की नहीं जाती , मोहब्बत हो जाती हैं
जुबां से इकरार किया नहीं जाता,  बात ये खुद बयाँ हो जाती हैं


हर लम्हा सोचते हैं उसे और ढूँढ़ते हैं हर जगह
दीवाना बना नहीं जाता ,इश्क में दीवानगी हो जाती हैं

हाय !! आ जाये गर वो भूले से कभी मेरे दर
फिर इसमें उसकी क्या खता, क़यामत तो हो ही जाती हैं

न उनको हमसे मोहब्बत हैं, न ही पता हैं इस हाल का
फिर न मिले बहुत दिनों तक वो, तो बेफ़ाई की शिकायत हो जाती हैं


हम क्या करे

अभी क्यों उठ के चल दिये
बताओं अब हम क्या करे

चराग सौ हैं जल रहे
बताओं इनका क्या करे

गिला नहीं हैं तुमसे अब
गिला कर के अब क्या करे

ख्वाब देखे थे हज़ार मैंने
अब इन खाव्बों का क्या करे


इक सबह का इंतज़ार रहा
उम्र भर इस दिल को
वो सबह ही न आयी
तो बताओं यार हम क्या करे 

कुछ न पूछों

यारों कुछ न पूछों क्या होता हैं
उसकी हर इक मुस्कराहट का हासिल इक जां होता हैं 

Tuesday, July 17, 2012

इतनी नफ़रत क्यों हैं ??

इतनी नफ़रत क्यों हैं इस फिज़ा में
क्यों हैं वो खफ़ा तेरे से हर निगाहं में

इतना सा भी भरम तेरा न रख पाता हैं वो
हैं अजनबियों सा पर खफा हैं कुछ दोस्तों की तरह से


गलत ही हो शायद दिल  तू अपनी हर वजह में
सच उसका हर भरम हो अपनी जगह पे

तोड़कर तेरा दिल बार बार क्या चाहता हैं वो
शायद कुछ सकूं पाता होगा तेरी दर्द से भरी आह पे

खुद से क्यों गिरा देता हैं बार बार तुझे अपनी ही निगाहं में
शायद तेरा होना उसे मंज़ूर नहीं किसी भी वज़ह से




Sunday, July 15, 2012

???

मेरा दर्द ले थोड़ा सा डाल दे
इस खाली पड़े जाम में
पी गया बहुत हूँ और देख जी भी लिया बहुत हूँ
न डर यार बाँट दे थोड़ा सा बेरंग से इस जहां में
 
वो कहते हैं मेरे बालों की रंगत को देख के
के इश्क करने के दिन तो तुम्हारे नहीं लगते
मैंने कहा ये बला हैं वो बला, बाटंता हैं खुदा जिसे बड़े बेहिसाब से
बच न पाया कोई उसके शबाब से , गर देख पाया वो उसकी निगाह में

मिलने वाले देखते हैं नज़र  भर भर के खुली खुली निग़ाह से
पूछ्ते हैं क्या मर्ज़ हैं क्या दवा हैं ,लेते भी हो क्या कभी हिसाब से
हमने कहा लामर्ज़ हूँ लादवा हूँ , बस ये अब तुम दुआ करों
गर उसका दर न मिले ,तो बुला ले खुदा अपने जहां में

Thursday, July 12, 2012

वो मुझे दर्द दे पर जिगर न दे

वो मुझे दर्द दे पर जिगर न दे
वो मुझे प्यास दे पर फ़िक्र न दे

मैं चलता रहूँ यूँ ही बस यूँ ही
वो मुझे कोई दुनिया की खबर न दे

रास्तें और रास्तें हर सबह एक सफर तो दे
जिंदगी में जाना वहां हैं ऐसा कोई जुनूं न दे

कोई कहता हैं तो कहता रहे दीवाना हमको समझता रहे
बनना हैं मुझको ओरों  सा ऐसी कोई कसक न दे

हाँ जानता हूँ जो जानना था मानता हूँ जो मानना था
मुझको वक़्त को बदलने की अब कोई बेचैनी न दे



Wednesday, July 11, 2012

वो मेरी तन्हाई नहीं सुनता

वो मेरी तन्हाई नहीं सुनता
वो मेरा दर्द नहीं बीनता

मैं  आया यहाँ तक जिस आस  पे
वो उस पे गौर भी नहीं करता

माना हूँ अजीब अजीब चाहते हैं दिल की
कोई पर हमें अब क्यों इंसानों मैं नहीं गिनता

जान ले ले अगर  वो चाहे अब
इस कंगाल से अब देते कुछ नहीं बनता

कहते हैं के दिल से चाहों तो क्या नहीं मिलता
पर क्या करे इस  बेचारे से चाहते अब कुछ नहीं बनता