Tuesday, August 9, 2011

चाँद कितना चुपचाप निशब्द हैं आज

चाँद कितना चुपचाप निशब्द हैं आज,
                बादलों से घिरा कितना तन्हा हैं आज||

 यूँ तो बह रही हैं छु के मुझको मखमली सी हवा,
                पर न जाने क्यों थोड़ा दिल उदास हैं आज||

याद भी आते हो और चले भी जाते हो,
               आँखों में हल्की सी नमी उतर आयी हैं आज||

 कहे भी किस से और क्या कहे हम ,
                अपनों की भीड़ में बेगाने हो गए हैं आज||

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