Tuesday, May 25, 2010

उन आँखों की कसम हम मर ही गए होते

उन आँखों की कसम हम मर ही गए होते।
जो उन निगाहों ने हमें प्यार से बुलाया होता ॥

वो जो देखती गर चुपके से शरमा के मुझे ।
मैंने ये शहर सारा सर पे उठाया होता ॥

उनके आने की होती हमें गर खबर।
मैंने इस दिल को उनकी राहों में बिछाया होता॥

आज हँसतें हो हम पे हँस लो बेखबर।
यों न हँसतें गर उसने तुमें उस तरह पुकारा होता॥

कह दे थे वो गर हमें जान दे दो "शफक"।
हमने ये सर उस पल ही गवांया होता ॥