Thursday, October 29, 2015

कल, जाने कहाँ जायेंगे कल

कल, जाने कहाँ जायेंगे कल
यादों में तेरी बन के इक धुंधला सा पल

तेरे बालों में इक सफेदी सलेटी बन
कभी किसी बात पे, इक छोटी सी मुस्कराहट बन
याद शायद तुम्हें कभी ही आएंगे आयेंगे
आज जो लगते हैं गुजरते हुए भारी  से पल

आज नहीं तो कल तुम किसी का हाथ थाम ही लोगे
शायद जीओगे जीने की तरह किसी का सहारा बन
जो बस वीरानो में अपनी आवाज़ सुनते थे
महफ़िलों में बिखर जाओगे इक गीत बन

अभी जो आँखों की सुर्खियां छुपाये फिरतें हो
नम आखों को बेबस सी हंसी से दबाएं फिरते हो
कल होंगे इन आखों में फिरते उजाले
बांटते फिरोगे खुशियाँ जहां में बहार बन 

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