Tuesday, December 25, 2012

पूरे चाँद की रात हैं ढल जायेगी

अपने हुस्न पे यों गुमा  न कर
पूरे चाँद की  रात हैं ढल जायेगी

जिंदगी का सफ़र कहते हैं लम्बा हैं
देख पलक झपकते ही गुजर जाएगी

उस हसीं के दर पे कौन दीवाना हैं
हाय! जान उसकी भी न बख्शी जाएगी

इमां का पक्का कहते हो खुद को शफ़क
उसकों देखोगे तो ये गलती भी सुधर जाएगी

सच्चे दिल को मत तोड़ना  ऐ नादां
वर्ना कयामात से पहले कयामात हो जाएगी 
 

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