Monday, April 20, 2009

क्या जवाब दूँ की मैं हूँ कौन...

क्या जवाब दूँ की मैं हूँ कौन,
भूल गया हूँ के में था कौन \\

आख़िर वो मुझे क्यों याद रहा ,
जिसके लिए में हूँ अब जाने कौन \\

नम आंखों से देखता हूँ इस खाली जाम को,
ले गया माये जिंदगी जाने कौन \\

नस- नस में खून कहा अंगारे दर्द के बहते हैं ,
इस जहा में इलाजे इश्क आख़िर जाने कौन \\

आग नहीं धुआं नहीं ...

आग नहीं धुआं नहीं ,
फिर भी कुछ जलता हैं ऐसा लगता हैं|

मुसाफिर पूछता हैं इस शहर में ईमान का पता ,
रास्ता भटक गया हैं ऐसा लगता हैं|

भगदड़ हैं मंजिल हर किसी को हैं पानी,
मर गया जमीर इस दौड़ में ऐसा लगता हैं|

दुख देख के किसी का आते नहीं आंसू,
काल पड़ा हैं आसुओं का ऐसा लगता हैं |

सोने के मन्दिर में बेठा वो कभी बाहर नहीं आता,
उसको भी हो गई आदत ऐसा लगता हैं|