चाँद कितना चुपचाप निशब्द हैं आज,
बादलों से घिरा कितना तन्हा हैं आज||
यूँ तो बह रही हैं छु के मुझको मखमली सी हवा,
पर न जाने क्यों थोड़ा दिल उदास हैं आज||
याद भी आते हो और चले भी जाते हो,
आँखों में हल्की सी नमी उतर आयी हैं आज||
कहे भी किस से और क्या कहे हम ,
अपनों की भीड़ में बेगाने हो गए हैं आज||
No comments:
Post a Comment