Sunday, July 31, 2011

कभी न कभी सोचेगा वो मेरी बात...

कभी न कभी सोचेगा वो मेरी बात,
                       जाने क्यों गुजरती नहीं काली रात||

जितना जिया तन्हा जिया नहीं मिला तेरा साथ,
                        और जो मिला उसकी न थी कभी प्यास||

कैसे कहें क्या हम कहें जो तुम चलों मेरे साथ ,
                        उम्मीद जरा बाकी सी हैं लड़ता हूँ रोज अपने ही साथ||

अच्छा हुआ या बुरा छोड़ो तुम ये बात,
                        गम है के अब वो मुस्कराता नहीं मुझे देखने के बाद||

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