कुछ टूटते ख्वाबों को ,
पलकों में सजाया हैं हमने
क्या कहे दर्दे इश्क ,
में क्या पाया हैं हमने
झूठी आस पे आने को उसकी,
जिंदगी को गुजारा हैं हमने
मेरे इन्तेजार को सज़ा न कह,
इसी में जिंदगी का मजा पाया हैं हमने
Saturday, March 28, 2009
कह दो घटाओं से ...
कह दो घटाओं से ,
के छा जायें बस्ती पे
कोई याद आ भी जायें,
तो भी हम रोएंगे नहीं
मैंने देखा हैं सच को ,
बारहा होतें बेआबरू
मेरा प्यार ठुकराओगे ,
तो हम रोएंगे नहीं
खुदाई तो हैं खुदा के लिए ,
इंसा के बस की बात कहा
तुम न बचा सको अगर जिंदगी,
तो हम रोएंगे नहीं
के छा जायें बस्ती पे
कोई याद आ भी जायें,
तो भी हम रोएंगे नहीं
मैंने देखा हैं सच को ,
बारहा होतें बेआबरू
मेरा प्यार ठुकराओगे ,
तो हम रोएंगे नहीं
खुदाई तो हैं खुदा के लिए ,
इंसा के बस की बात कहा
तुम न बचा सको अगर जिंदगी,
तो हम रोएंगे नहीं
Sunday, March 8, 2009
उसकी आंखों में डूब जाता मगर...
उसकी आंखों में डूब जाता मगर,
कुछ होश वालों ने मुझे बचा लिया
जिसकी बातें में तुझसे कर रहा हूँ हमदम,
उसने बरसों पहलें मुझे भुला दिया
हर तरफ जब छाने लगा अँधेरा,
रोशनी को थोड़ा दिल हमने जला लिया
एतबार तो नहीं था उस हंसी का मुझे,
फिर भी बातों बातों में जहर उसने पिला दिया
कुछ होश वालों ने मुझे बचा लिया
जिसकी बातें में तुझसे कर रहा हूँ हमदम,
उसने बरसों पहलें मुझे भुला दिया
हर तरफ जब छाने लगा अँधेरा,
रोशनी को थोड़ा दिल हमने जला लिया
एतबार तो नहीं था उस हंसी का मुझे,
फिर भी बातों बातों में जहर उसने पिला दिया
उसने पुछा भी नहीं , हमने सोचा भी नहीं ....
उसने पुछा भी नहीं , हमने सोचा भी नहीं
के मेरे यार ने ,हाल मेरा पुछा क्यों नहीं
उसने देखा भी नहीं, दिल मेरा जला भी नहीं
के वो निगाहें,आज हम पर रुकी क्यों नहीं
आज वो हेरा भी नहीं , हम परेशा भी नहीं
के मिल के हम,आज मिले क्यों नहीं
कोई सवाल भी नहीं, कोई जवाब भी नहीं
के था जो कल तलक, वो आज दिलों में क्यों नहीं
उससे शिकायत भी नहीं , कोई इल्ताज्ज़ भी नहीं
के लिखा उसका ,आख़िर बदलता क्यों नहीं
के मेरे यार ने ,हाल मेरा पुछा क्यों नहीं
उसने देखा भी नहीं, दिल मेरा जला भी नहीं
के वो निगाहें,आज हम पर रुकी क्यों नहीं
आज वो हेरा भी नहीं , हम परेशा भी नहीं
के मिल के हम,आज मिले क्यों नहीं
कोई सवाल भी नहीं, कोई जवाब भी नहीं
के था जो कल तलक, वो आज दिलों में क्यों नहीं
उससे शिकायत भी नहीं , कोई इल्ताज्ज़ भी नहीं
के लिखा उसका ,आख़िर बदलता क्यों नहीं
Thursday, March 5, 2009
ये बात छोटी हैं मगर, दिल में बड़ा तूफान हैं
ये बात छोटी हैं मगर, दिल में बड़ा तूफान हैं
आज फिर याद आती हैं, जो बीते कल की बात हैं
हम चले थे दो कदम ही,भूलकर हर बात को
आवाज देकर बुला लिया उसने, जो बीते कल की बात हैं
हर शहर में हर गली में, पीछा करता मेरा कल मिला
न जाने क्यों मुझसे जुदा न हुयी, जो बीते कल की बात हैं
आज फिर जाने क्यों लिख रहा हूँ, तेरे ख्याल को
कौन जाने क्या तस्वीर बनेगी उसकी , जो बीते कल की बात हैं
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