Sunday, August 29, 2010

इश्क का सबब हैं क्या,क्या बताएं तुझे|

इश्क का सबब हैं क्या,क्या बताएं तुझे|
पढ़ ले मेरी आँखों में, क्या जताएं तुझे ||

बहुत बार कर चुका हूँ इक्क्रार|
पूछ ले आईने से क्या बताये तुझे||

समंदर हो छुपा अश्क बहते हैं यों|
छांक ले इन आँखों में क्या दिखाएँ तुझे||

न तेरे मिलने पे दिल रोता हैं यों |
सुन ले अजाब का शोर क्या सुनाएँ तुझे||

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