वो जो देखता हैं राहों को गौर से
शायद उसे नहीं मालूम के जाना कहाँ हैं
वो जो खामोश हैं समंदर की तरह
शायाद उसे नहीं मालूम के शोर की भी वजह हैं
शायद उसे नहीं मालूम के जाना कहाँ हैं
वो जो खामोश हैं समंदर की तरह
शायाद उसे नहीं मालूम के शोर की भी वजह हैं
No comments:
Post a Comment