Monday, October 15, 2012

ऐ दिल बता...

ये राहें मुझे हाँ रोके हैं
मंजिलें मुझे हाँ टोके हैं
पर क्या पता मुझे जाना हैं कहाँ
ऐ दिल बता मंजिले मेरी हैं कहाँ

ये नज़रों के सारे  धोखे हैं
बदलते जो मौसमों से ये रिशते हैं
कसमे हाँ वादें वो नातें ,निभाएं न कोई यहाँ
ऐ दिल बता तो किसको कहूँ अपना यहाँ

ये प्यार जिसे हाँ कहते हैं
बाज़ारों में होतें जैसे वो ये सोदें हैं
जो बिकता  नहीं डिगता नहीं ,रहता हैं अकेला यहाँ
ऐ दिल बता कितना बिकूं क्यों बिकूं मैं यहाँ

ये शोर जहां में बड़ा गहरा हैं
हर निगाहं पे रोशिनियों का पहरा हैं
तो कैसे कोई सुन देख के पहचाने दिल को यहाँ
ऐ दिल बता कैसे जिएगा तू अब यहाँ 

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