Sunday, October 14, 2012

हाय हाय ये बेचारें दिल ...

पेड़ों की टहनियों पे लटके से ये दिल
कोई लटका हैं कई बरस से कोई दो चार दिन से
और माशुकाये AC में सोये without any bill
हाय हाय ये बेचारें दिल ...

कहा ये जाएँ किसकों सुनाएँ
यार सारे बोर हो गए हैं
सुन सुन के  इनकी अधूरी फ़िल्म
और माशुकाये  mall में घूमे without any frill
हाय हाय ये बेचारें दिल ...

पंडतों को पतरी ये दीखायें
उम्मीद से बड़ी प्रभु को नारियल भी  चड़ाये
रोज नए कपड़े पहन के जाये
साला हर कोई देख ले इनकों
और मशुकाये यूँ ही निकल जाये, रह जाएँ ये without any thrill
हाय हाय ये बेचारें दिल ...





1 comment:

  1. haahahaha. Lagta hai guljar ki aatma mein kolawari di ka writer ghush gaya hai

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