जो कहना था वो न कह सका
जो करना था वो न कर सका
मैं था वही जो मैं था नहीं
तेरे रूबरू , तेरे रूबरू
तेरे आने की ख़ुशी भी थी
तेरे जाने के गम भी थे
पर चाह के भी न जता सका
तेरे रूबरू , तेरे रूबरू
हूँ कशमकश में जी रहा
हर लम्हा इक आस पे बीत रहा
बारहा किया इकरार, पर न कर सका
तेरे रूबरू , तेरे रूबरू
इन आँखों में हैं जो पढ़ भी लो
जो लबों तक न आये उसे अब सुन भी लो
हूँ मैं बेकस, हूँ मैं बेबस
तेरे रूबरू , तेरे रूबरू
No comments:
Post a Comment