कर रहा था कबसे जिसका इंतज़ार
लगता हैं वो तूफान आने को हैं
दिल जरा सभल जा जरा
तेरा ये आसमान सुर्ख हो जाने को हैं
उम्मीदों का शहर तेरा ये अच्छा हैं मगर
इक लम्हा उसे अब रोंद जाने को हैं
नाज़ था जिस पे तुझको
वही अब बस याद बन तडपाने को हैं
कह न पाया कुछ तू
अब ये जहां दास्तान सुनाने को हैं
जा बहा ले आसूं दिल कितने भी अब
ये बस अब आग ये बुझाने को हैं
क्यों समझती रही दुनिया इंसान मुझकों
गमे जिंदगी रूह ये पी जाने को हैं
जहर ये न मिटा पायेगा मुझको
इंसान इक खुदा हो जाने को हैं
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