इधर उम्मीद हैं उधर हकीक़त,
सोच रहा हूँ आज किस के साथ सोऊ मैं||
ताक़ रहा हूँ न जाने कब से इस दरों दीवार को,
सोच रहा हूँ उजाले या अँधेरे में सोऊ मैं||
जहनो दिल हैं न जाने किस कशमकश में,
सोच रहा हूँ क्या भूल क्या याद कर सोऊ मैं||
वक़्त हैं के ठहरता नहीं एक पल को जरा,
सोच रहा हूँ वक़्त को सोचूं या वक़्त की सोच सोऊ मैं||