Tuesday, August 10, 2010

चले आज तुमको भुला के कहीं को

चले आज तुमको भुला के कहीं को
न जाने कहाँ अब जायेंगे हम॥

इबादत करी थी दिल से तुम्हारी ।
न जाने खुदा किसे अब बनायेंगे हम॥

कह दो के मजबूरी तुम्हारी बहुत थी ।
वरना घुट घुट के मर जायेंगे हम॥

चलो आज खुद से वादा में कर लूँ।
कभी भूले से भी न अब याद आयेंगे हम॥

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