Tuesday, June 4, 2013

बावरें ... बावरें ... बावरें

चाहें जैसा भी तू भेष धर ले
उसके मन में न समा पायें तू

चाहे कितना भी तू सूरज से लड़ ले
उसकी परछाई न बन पायें तू

बावरें ... बावरें ... बावरें


चाहें कितना भी तू इंतज़ार कर ले
उसका वक़्त न बन पायेगा रे तू

चाहें कितना भी तू अब लुटा जिंदगी
उसकी मुस्कराहटें न बन पायेगा तू

बावरें ... बावरें ... बावरें

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