Monday, December 5, 2011

कुछ ओंस की बूंदे लाया हूँ मैं तेरे लिए

कुछ ओंस की बूंदे लाया हूँ मैं तेरे लिए
प्यार से चुपचाप से छींट दूँगा आँखों में तेरी तुझे जगाने के लिए

कबसे यूँ ही देखता हूँ मैं तुझे सोते हुए
हल्की सी मुस्कान आती है चली जाती हैं चेहरे पे तेरे

क्या पता देखा हो तुने मुझे खवाबों में तेरे
या जान के कर रही हैं ये तू मुझे सताने के लिए

मन तो ये करता हैं के बस यूँ ही देखता रहूँ तुझे
इतेमनान से पल पल जीता रहूँ जिंदगी भर जिंदगी तेरे लिए

शब्द नहीं हैं और हैं भी तो कम हैं तुझे सब कुछ समझाने को
तू कौन हैं क्या हैं मेरे लिए दिल खोल के तुझे बताने के लिए
                       

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