Friday, August 31, 2012

अभी हो तू यही तो क्या हो

अभी हो उम्मीद तो क्या हो 
अभी हो गर कुछ तो क्या हो
अभी हो तू यही तो क्या हो

मैं चाहूं के पीरों के शब्दों में
दिल के अनकहे सारे जस्बात
दे दूं तुम्हे हाथों से लिख के तो क्या हो


मन चाहे हैं पहुचना जहां तक न जा पाऊँ
तुझको वो सब दिखलाना जो न दिखला पाऊँ
गर तेरे ख्वाबों में कभी ये कर पाऊँ तो क्या हो


आना चाहूं याद तुझको पर शायद आ न पाऊँ
चाहूँ तेरी आँखों में बसना पर पल को भी टिक न टिक पाऊँ
गर तू ही कभी देख ले पल को गौर से तो क्या हो


दो पल का भी साथ न हैं पर जिंदगी बिताना चाहूँ
ऐ दिल इतनी बेसबब खवाहिश ले के इस जहां में कहाँ  जाऊं
और हो ही जाये गर ये खवाहिश कभी पूरी तो क्या हो 

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