बेवजह ये प्यार क्यों हैं,
इतना इंतज़ार क्यों हैं|
देखता हूँ में क्यों तुझको,
बस यूँ ही बस यूँ ही ||
वो न जाने कौन हूँ मैं,
बेताब इतना ये दिल क्यों हैं|
सोचता हूँ रात दिन उसको मैं,
बस यूँ ही बस यूँ ही||
धडकनों में ये सोज़ क्यों हैं,
बेज़ार दर्द से ये रूह क्यों हैं|
रुकी रुकी सी क्यों हैं ये ज़िन्दगी,
बस यूँ ही बस यूँ ही||
Bahut khoob rachana hai!
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